कौन यहाँ पर..
गीत.. ( कौन यहाँ पर ..)
कौन यहाँ पर किसे सुनाएं
हो उत्सुक जीवन की बातें।
कटने को दिन कट है जाता
पर मुश्किल से कटती रातें।।
अक्सर यादें आ आ करके,
गुजरे दिन में टहलाती हैं।
कुछ छूती हैं भाव सुकोमल
कुछ घावों को सहलाती है।।
उम्मीदों के बिखरे टुकडे,
रहते हैं मन को तरसाते।
कौन यहाँ पर किसे सुनाएं,
हो उत्सुक जीवन की बातें।।
सबकी अपनी कथा कहानी,
सब ही अपनी व्यथा सुनाते।
कुछ सपनों में खोये दिखते,
कुछ बैठे बस हाथ हिलाते।।
व्यस्त हुई सबकी दिनचर्या,
कहाँ मीत अब मिलने आते।
कौन यहाँ पर किसे सुनाएं
हो उत्सुक जीवन की बातें।।
मेरा जीवन इक किताब है,
शब्दों में लिपिबद्ध कहानी।
पढ़ना गर चाहो पढ़ सकते,
अंकित है हर एक निशानी।।
ताप सहा है कितना तन ने,
देखी है कितनी बरसाते।
कौन यहाँ पर किसे सुनाएं,
हो उत्सुक जीवन की बातें।।
कौन यहाँ पर किसे सुनाएं,
हो उत्सुक जीवन की बातें।
कटने को दिन कटता ही है,
पर मुश्किल से कटती राते।।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)