कौन मृदा में बसकर, रुचिकर अन्न उगाता ।
कौन मृदा में बसकर, रुचिकर अन्न उगाता ।
ममता के आंचल में, कौन पयस बन जाता ।।
कौन ललित उपवन में , खुशबू महका देता ।
किसका ये जग सारा, कौन अभीष्ट प्रणेता ।।
-जगदीश शर्मा सहज
कौन मृदा में बसकर, रुचिकर अन्न उगाता ।
ममता के आंचल में, कौन पयस बन जाता ।।
कौन ललित उपवन में , खुशबू महका देता ।
किसका ये जग सारा, कौन अभीष्ट प्रणेता ।।
-जगदीश शर्मा सहज