कौन धर्म कैसी मानसिकता.
भारत संभावनाओं का देश है ।
राष्ट्रीयता भले भारतीय हो ।
भारतीयता के तात्पर्य से अनभिज्ञ हैं ।
हम एक दूसरे को रोकते जरूर है ।
भले रोकने की वजह जानते न हो ।
प्रचार के साधन बढ़ने के बाद
यह कार्य और आसान हो गया ।
पहले कोई कोई छल-कपट करता था,
आजकल बात आम हो गई ।
इस तथ्य से हर कोई वाकिफ है ।
कि विचारों में समानता का नाम दोस्ती है ।
और इसके विपरीत मानसिकता दुश्मनी ।
अगर कोई किसी तथ्य का समर्थन करता है ।
या विरोध ।
दोनों ही बातें समाज के लिये उतनी ही घातक है.
लेकिन हमें जो धर्म के नाम पर विरासत मिली है ।
उसका सम्मोहक प्रभाव यही है ।
अतः हम चक्रव्यूह तोडने में असमर्थ है ।
नतीजन हम जीवन में जहर खुद घोलते रहे.
मानसिकता को गुलामी की जंजीरों से मुक्त नहीं कर पाये ।।
आधार धर्म एवं धार्मिकता ही रहा है ।
धर्म एक प्रति-ध्वनि है ..जो कि स्वभाव, मूलत्या, इंसान ने उसके जीवन को सरल एवं सहज बनाने में मदद के लिये एक विचार-धारा के रूप में इजाद किया ।
गर वही फाँस बन गई तो ..
कौन धर्म कैसी मानसिकता ।।
डॉ_महेन्द्र