कौन दिल बहलाएगा?
कौन दिल बहलाएगा?
कौन खिलाएगा खाना मुझको,
अब कौन पानी पिलाएगा?
बाँटूगा किसके साथ दर्द-ए-दिल,
अब कौन दिल बहलाएगा?
नहीं खटखटाऊँगा दरवाज़ा अब,
आधी रात को जब भी आऊँगा,
पहले ही ज़ख्म दिए बहुत,
अब न दिल दुखाऊँगा।।
कौन छेड़ेगा सुर ताल अब,
कौन गाने सुनाएगा?
बाँटूगा किसके साथ दर्द-ए-दिल,
अब कौन दिल बहलाएगा?
कमी खलेगी यारो तुम्हारी,
जब भी महफिल सजेगी।
वीडियो कॉल करके अब,
प्यास आँखों की नहीं बुझेगी।
कौन बताएगा राज़ वफा का,
कौन बेवफाई सिखाएगा?
बाँटूगा किसके साथ दर्द-ए-दिल,
अब कौन दिल बहलाएगा?
मिलेंगे और भी यार बहुत,
सबको मित्र न बोल पाऊंगा,
तड़पन जुदाई में होती इश्क सी,
कैसे दिल को समझांऊगा?
आग लगेगी जब भी रुह में,
अब कौन उसे बुझाएगा?
बाँटूगा किसके साथ दर्द-ए-दिल,
अब कौन दिल बहलाएगा?
होगा दर्द-ए-जुदाई उनको यारो,
दिल ही जिनका बसेरा था।
चाह बहुत थी उनसे बेशक,
जाने क्यों दिल के कोने में अंधेरा था?
रहा दिल में हर शख्स यहाँ,
कोई दिल से बाहर न जाएगा।
बाँटूगा किसके साथ दर्द-ए-दिल,
अब कौन दिल बहलाएगा?
है कुदरत का खेल यह,
दर्द रुखसत का तो इक दिन होना है।
कब टूट जाए बेखबर सब,
आदमी सच में खिल्लौना है।
मिलेंगे यार और भी बड़े,
‘भारती’ अब कौन तेरे लिए अश्क बहाएगा?
बाँटूगा किसके साथ दर्द-ए-दिल,
अब कौन दिल बहलाएगा?
–सुशील भारती, नित्थर, कुल्लू (हि.प्र.)