कौन जाने कौन किससे……..
कौन जाने कौन किससे आज कितना दूर है?
देखने में प्यार सबके दरमियाँ भरपूर है।।
हो गया है मर्ज़ दिल का इसलिए अब लाइलाज़,
ज़ख़्म हल्का सा रहा जो बन गया नासूर है।।
पाँव जब भी लड़खड़ाया है किसी का भूख से,
लोग उसको भी ये समझें के नशे में चूर है।।
जबसे काले बादलों का हो गया पहरा यहाँ,
चाँदनी फ़ीकी पड़ी है,चाँद भी बेनूर है।।
ऐ ख़ुदा इतना बता के होगा कब तेरा करम,
वक़्त के हाथों तेरा बन्दा बहुत मजबूर है।।
बेवफ़ा ही मैं सही,आये तो उसका फ़ैसला,
जो सज़ा मिल जाये उससे, वो मुझे मंज़ूर है।।
तल्ख़ लहजा हो गया है हर किसी का आजकल,
“अश्क” इस दौरे-सफ़र में,हर ख़ुशी काफ़ूर है।।
© अशोक कुमार “अश्क चिरैयाकोटी”