कौन जानता है…….!
कौन जानता है
कि–शांत सागर कभी-कभी
तुफान लाता है
फिर–क्या होता है…..?
अकल्पनीय लम्हें…………
सोच से परे पल
जीवन में भी कभी–कभी
आते हैं ऐसे तुफान
विवेक से परे हो जाते लम्हें
गिर जाते सोच के महल
ढ़ह जाता धैर्य का मकान
फिर……….
शांत हो जाता है सबकुछ
शून्य…..विलीन….विहीन….
छिन जाता वो सबकुछ
संजोया जिसे दिन गिन-गिन
चला जाता है तुफान
छोड़कर परछाई अपनी
रोंगटे खड़े कर दे……कल्पना भी
ऐसे अतीत को छोड़कर…………..।