दिल पूछता है हर तरफ ये खामोशी क्यों है
दिल पूछता है हर तरफ ये खामोशी क्यों है
लोग सहमें हैं और चेहरों पे उदासी क्यों है
दिल पूछता है……………
क्या बताऊँ किसी को मैं व्यथा जमाने की
लोग खुद नहीं जानते हैं ये उदासी क्यों है
दिल पूछता है……………
न वो जज्बा न हौंसला न वो उमंग है कहीं
हर एक चेहरे पे ये रात की उबासी क्यों है
दिल पूछता है……………
महफिलें सजती हैं रोज खुशी हो चाहे गमी
पूछने वाला ही नहीं है ये अय्याशी क्यों है
दिल पूछता है…………….
“विनोद”पूछता है मुझको जरा बता दे कोई
अपनों में रहकर भी ये दिल प्रवासी क्यों है
दिल पूछता है…………….