कौन ख़बर नवीस हैं?
जात जज़्बात औकात
ढक कर मिला करो
प्रेम चरित्र सौगात
छुप कर खोला करो
सांस आंखें धड़कन
सोच कृत तुम्हारी तड़पन
पैनी निगाहों में हैं
तुम्हे नापा जा रहा है
सब देखा जा रहा है
सब छापा जा रहा है।
ये कौन ख़बर नवीस हैं
ये कौन चिल्ला रहे हैं
तुम्हारी जुबां के झूठ
आंखों की चोरी
ज़हन के कुफ्र
और रूहों की हरामखोरी बता रहे हैं।
कुरेद लाते हैं वो मर्ज
जो छुपाए बैठे हो
एक काली रात
जो उजाले में मिटाए बैठे हो
एक काम करो
आज दावत है
आना
मज़ा आयेगा
किसी का किरदार
किसी का रसूख
तो किसी की शोहरत को खाया जायेगा
झूठ फरेब धोखा
छल कपट मौका
खबरों का दस्तरखान बिछाया जा रहा है
इज्जत का इस्तेहार परोशा जा रहा है।
सब देखा जा रहा है
सब छापा जा रहा है।