कौन कितने पानी में
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आखिर तय हो गया की हम प्रदीप की शादी में जा रहे हैं, प्रदीप जिसे हम प्यार से छोटे बुलाते हैँ। दफ्तर से हम 6 सहकर्मी तैयार हो गए थे की शाम काम खत्म होते ही यहीं से उसकी शादी में निकल पड़ेंगे। एक गाड़ी भी बुक कर दी गई जो शाम को हमें यहीं दफ्तर से ले जायेगा। आज काफी दिनों बाद मुझे भी किसी शादी में जाने को मिल रहा था।
शाम को काम खत्म होते ही सब सहकर्मी बाहर गाड़ी का इंतज़ार करने लगे। तभी हमारे पंकज जी ने कुछ फुसफुसा के कहा “जिसे लेना है वो मेरे साथ आ जाओ, मैंने कुछ जुगाड़ कर रखा है”। हमारे 3 सहकर्मी दोस्त ऐसे थे जो की थोड़े शौकीन किस्म के थे, वे कुछ सुरूर में ही वहाँ जाना चाहते थे। तीनों अलग से एक दुकान के कोने में अपना जुगाड़ लेने के तैयारी करने लगे। तभी उनमे से राणा साब में मुझे आवाज दे कर कहा “शर्माजी जरा दुकान से सोडे की बोतल तो ले आइये जनाब”। मैँने दुकान वाले से एक सोडे की बोतल की फरमाइश, उसने कहा सोडा तो ख़तम है सर आप आज पेप्सी से काम चला लीजिए।
मैं पेप्सी की बोतल लिए राणाजी के पास आया, तभी महावीर जी जो सामने ही खड़े थे ने कहा “अरे सोडा नहीं मिला? ये पेप्सी तो नुकसान करेगी”।
राणाजी ने कहा “कोई नहीं आज हम इसी से काम चला लेते हैं “।
इधर मैं अपने सहकर्मी झा जी और अमर जी के साथ गाड़ी का इंतजार करने लगे। तभी सुमित ड्राइवर वहाँ पहुंचा और सबको गाड़ी में बैठने का आदेश दिया। मैंने राणा जी को जोर से आवाज दी कि जल्दी आओ कहीं बारात न निकल गई हो।
गाड़ी फर्राटे से आगे चल पड़ी और मैं ये सोचने लगा कि आखिर कोल्डड्रिंक में ऐसी क्या चीज़ है जो शराब से भी ज्यादा नुकसानदायक है।
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