कौन कहाँ से आई
** कौन कहाँ से आई **
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तुम कौन , कहाँ से आई
रातों की नींद उड़ाई
शान्त बह रहा था सागर
प्रवाह की गति घटाई
कलरव से गूँजता गगन
मधुर गीत दिया सुनाई
छाये काले काले बादल
बूँद वर्षों की भू पर आई
जब याद पिया की आए
नैनों ने अश्रु धारा बहाई
तन्हाई में तन्हां रहता हूँ
मार डालेगी तेरी जुदाई
अधर में हाथ न छूट पाए
जग में हो जाएगी हँसाई
मनसीरत मिले या न मिले
तेरी मेरी प्रीत न हो पराई
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)