बिखर जाएंगे
कौन कहता है लौट के घर जाएंगे,
नामुमकिन है कि हम बिखर जायेंगे।
जिसको जो बोलना है बोलो मगर,
मुझे खुद पे यकीं है सबर जाएंगे।।
दिल कहता है अपने जिद पे रहो,
तुम गिर–गिरकर हरदम संभलते रहो ।
तुम सफल हो गए तो घर बर जाएंगे,
कौन कहता है लौट के घर जाएंगे।।
मुझको यूँ ना साहब सताया करो,
हो सके तो हौसला, बढ़ाया करो।
एक छोटी–सी बस्ती से आया हूँ मैं,
कुछ उम्मीदे जगाकर हँसाया करो ।।
दिल कहता है अपने जिद पे रहो,
तुम सफल हो गए ये खबर जाएंगे।
कौन कहता है लौट के घर जाएंगे,
नामुमकिन है की हम बिखर जाएंगे।।
© अभिषेक पाण्डेय अभि
१५/०१/२०२३