कौन कहता है बदल जाता हूँ मैं
रास्ते अपने बदल जाता हूँ मैं
बहते दरिया सा निकल जाता हूँ मैं
हाथ से वो ज़ाम दे या ज़ह्र दे
प्यार में सबकुछ निगल जाता हूँ मैं
जो पिला दी मय नज़र से साकी ने
ज़ाम पीते ही मचल जाता हूँ मैं
आज कल करता हूँ थोड़ी शाइरी
जैसी महफ़िल वैसा ढल जाता हूँ मैं
आज भी दिल में मुहब्बत है तेरी
कौन कहता है बदल जाता हूँ मैं
उम्र के इस दौर में माँ बाप से
बच्चों के जैसे बहल जाता हूँ मैं
छेड़ते हैं दूसरों की बेटियाँ
देख कर उनको उबल जाता हूँ मैं
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सागर