कौन कहता है आँसू बहाए नहीं
कौन कहता है आँसू बहाए नहीं
एक पल को भी उनको भुलाए नहीं
साथ देने का वादा किया था कभी
साथ देने कभी पर वो आए नहीं
ज़ख़्म देकर के पूछा हुआ दर्द क्या
हैं वो अपने मेरे क्या पराए नहीं
क्या करें जब मुक़द्दर है अपना यही
पर मिले दोस्त जो वो निभाए नहीं
राह देखी नहीं औ’र न मंज़िल पता
पूछते हो क़दम क्यों बढ़ाए नहीं
आबदाने की ख़ातिर परिन्दे फंसे
जाल ऐसा कि ख़ुद को बचाए नहीं
सर पे बांधे कफ़न वो लड़े हैं सदा
पीठ अपनी कभी वो दिखाए नहीं
जान कुर्बान कर दी वतन पर वहीं
लौटकर सरहदों से वो आए नहीं
ये ही ‘आनन्द’ से पूछते हैं सभी
क्यों दवा साथ अपने वो लाए नहीं
– डॉ आनन्द किशोर