कौन करे रखवाली
रै करै कौण घर की रखवाली
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रै करै कौण घर की रखवाली,
रै खू गई सै किते घर की ताली।
दिखदी कोन्या ए खिलती क्यारी,
रै जड पाड़ गया फूलां की माली।
रिशम रीश नै सै दुनिया बिगाड़ी,
रै काम कर दै कोन्या इब ह़ाली।
कुनबे का ऐका त़िनका-त़िनका,
बाजे घर-घर महं थाली पै थाली।
मनसीरत माडै कर्म हो गये भारी,
बजांवें पडौसी देख दे ही ताली।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)