कौन…? इक अनउत्तरित प्रश्न
एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन!
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन!
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें..
तो कल इस बात पे पछताएगा कौन
एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन!
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन!
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें..
तो कल इस बात पे पछताएगा कौन