कौन आदमी परेशान नहीं
जीवन के रास्ते आसान नहीं,
कौन आदमी परेशान नहीं।
जिसे मिट्टी से लगाव नहीं,
वो सच्चा दहक़ान नही।
मनुष्य का जीवन मिला है,
क्या ये रब का एहसान नहीं
जो मन को कष्ट पहुंचाये
वो जुबान, जुबान नहीं।
हिंदी की जगह अंग्रेजी ले,
वो इंडिया है हिन्दुस्तान नहीं।
हम के बदले मैं-मैं होने लगे
वहां घमंड है अभिमान नहीं।
जियें अपने- अपने तरीके से,
बस! झूठा दिखावा,शान नहीं।
रोटी-चटनी का भी आनंद लें,
आप अपने घर के मेहमान नहीं।
इतनी भी खामोशी ठीक नहीं,
घर-परिवार है शमशान नहीं।
दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं
बंद हों जाये भाड़े का मकान नहीं।
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश