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25 Jun 2020 · 1 min read

को भी

हिन्दुस्तानी गजल

122/122/122/122

तुम्हारे हवाले करूं जान को भी।
मिरे ख़्वाब अरमां हुनर शान को भी।

तुझी से मिरे चाहतें भी बची है!
बचाया तुने यार ईमान को भी!

मरा ख्वाब दिल का सहारा न कुछ था ।
न था शौक कुछ ख्वाब उन्वान को भी।

तुम्हारी नज़र में दिखा जो यही है
मोहब्बत मिला एक बदनाम को भी।

हमारी खता है सजा दो मगर रब
सलामत रखो शौक अरमान को भी।

हमारा नहीं कुछ यहां था मगर तुहि
दिया रोशनी इक अलीशान को भी ।

मोहब्बत नहीं है इबादत कहा हूं
यूं दीपक कहा जान भगवान को भी।

दीपक झा रुद्रा।

Language: Hindi
2 Likes · 447 Views
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