कोख़ का वचन
घर मे खुशियां बिखर गई
जब बहु ने, खुश खबरी सुनाई थी
भाई चाचा दादी ने पूरे महोले
में , बाती खूब मिठाई थी
मुस्कराता चुप चाप सा बैठा
पति गंभीर विचार में खोया था
घर वालो की खुशी ने उसका मुख पुरोया था
मन ही मन सोच रहा था कैसे बात बातउ ये ,
घर की शांति को कैसे आग लगाऊं में
ध्रद निश्चय कर के औरत का हाथ पकड़ बोला
काम है जरूरी ओर गाड़ी पे चढ़ आने को बोला
पति के क्रोध मन को पत्नी भाप बैठी
मोन धारण कर डर के मारे पति साथ बैठी
जंग अंदर अंदर हो रही थी न जाने क्या होना था
दिल मे कम्पन चहरे पे आशु यही औरत का गहना होया था
रोकी गाड़ी डॉक्टर की दुकान पर
हाथ खींच अंदर जा बोला
हटा दो इस बोझ को ले लो चाहें जी भर पैसा
साहब लाल आँख दिखये , कैसी ये तुम बोली बोले हो
कलयुग के पापी तुम तो रावण होये हो
अपने बच्चे को मार रहा है कैसा ये पति तुम्हारा है।
मुझको बोलो क्यों ये कलंक माथे लगा रहा है ।
पति बोला सुंदर नही नरक ये सारा जमना है ।
अपने बच्चे को बचाना ये कर्तव्य हमारा है
लड़की नही सुरक्षित वासना का पूरा भूगाला है ,
लड़की बच्ची बूढ़ी व रिश्तो की कामुकों ने लूटी जीवन रूपाहै
लड़को की भी गुंडागर्दी , छेड़छाड़ रेप की बेला है
लड़की को खिलौना समझे
ओर हर खिलौना तोड़ के फेका है।
सरकार भी दोगली कानून को भी पैसा भाया है
न्याय नही बड़े हाथो की रची सब माया है ।
कैसे अपने बच्चो को नरक मे में आन दु
बहेतर है कि में इन्हें कोख में ही मर दु ।
रोयेगी इनकी माँ पल से साल तक
लेकिन दरिंदे समाज से बचे रहेंगे मेरे अनोमोल रत्न
सुन के पति की बोली आँख में आँसू लेके औरत बोली
मत मारो इन बच्चो को ये कल नया बनायेगे
पापीयों का नाश करके विश्व को सुवर्ग ये बनेगे
बेटी को में मेरी सारे गुण सखूंगी
शिक्षा में सरस्वती
ममता में पार्वती
ओर पापीयों का नाश करने वाली चांडी इसे बनूँगी
लड़का होगा यदि तो संस्कार ऐसे डालूंगी
स्त्री की इज्जत करना
बहनो की रक्षा करना
देश की सेवा करना
ये सब कुछ उसे सिखाऊंगी
डॉक्टर की आँखों से भी पानी सारे बहे बैठे
बोला सही है इस वचन को हम सब भी सीने में लिख बैठे
बेटा हो या बेटी समाज की गंदगी से इन्हें बचेयेगे
इनको काबिल बना के समाज को नया व शुद्ध हम बनेगे
शिक्षा वीरता संस्कार का ऐसा ज्ञान बच्चो को देना है ।
नीव को मजबूत कर के
देश को महात्मा गांधी , भगत सिंह , रानी लछमी बाई देना है।