कोहिनूराँचल
कोहिनूराँचल
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कोहिनूर अंचल करें, इस जग को उजियार।
जीवन में खुशियाँ भरे, और हृदय मनुहार।।
जीवन जीने की कला, सीख सके सब लोग।
नहीं रहें मन में कभी, कलुषित कुत्सित रोग।।
सुख तरुवर की छाँव सी, दुख कंटक के शूल।
मन में रखो विनम्रता, जीवन के अनुकूल।।
धीरज धारण जो करे, मन में रख विश्वास।
दुख का होता है नहीं, उस जन को आभास।।
तन शुभता का धाम हो, मन सत्संगी संत।
‘श्रद्धा’ प्रभु पग धाम में, हो जीवन पर्यंत।।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर” ✍️✍️