कोहिनूराँचल
कोहिनूराँचल
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भावों के दृगधार में, डूबे है दिन रैन।
प्रभु दर्शन की कामना,लिए हमारे नैन।।
हृद अंतस के भाव में, बसे हुए सतनाम ।
सहज सवारे जन्म को,जग में आठोयाम।।
मर्यादा व्यापित जहाँ, वह हृद है सुखधाम।
विनयशील व्यवहार से, बनते है सब काम।।
मानवता की राह में, चलते है जो लोग।
रहता उनके भाग्य में,प्रभु दर्शन का योग।।
छोड़ सभी अज्ञानता,मनुज बने ज्ञानेंद्र।
शुभताओं के पंत में,चलते रहो डिजेन्द्र।।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”✍️✍️
©️®️ – 0227122023