Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Feb 2022 · 1 min read

कोशिशों से क्या नहीं मिलता

क्यों मुश्किलों का हल नहीं मिलता ।
क्यों मुकद्दर पे बस नहीं चलता ।।
खुद पर बस एतबार हो हमको ।
कोशिशों से क्या नहीं मिलता ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
8 Likes · 1 Comment · 241 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

छंद मुक्त कविता : जी करता है
छंद मुक्त कविता : जी करता है
Sushila joshi
प्यार और परवाह करने वाली बीबी मिल जाती है तब जिंदगी स्वर्ग स
प्यार और परवाह करने वाली बीबी मिल जाती है तब जिंदगी स्वर्ग स
Ranjeet kumar patre
तुम्हारा स्पर्श
तुम्हारा स्पर्श
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
चेहरा सब कुछ बयां नहीं कर पाता है,
चेहरा सब कुछ बयां नहीं कर पाता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शौचालय
शौचालय
लक्ष्मी सिंह
बड़े बुजुर्गों ,माता पिता का सम्मान ,
बड़े बुजुर्गों ,माता पिता का सम्मान ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
नीम का पेड़
नीम का पेड़
Jai Prakash Srivastav
सुल्तानगंज की अछि ? जाह्न्नु गिरी व जहांगीरा?
सुल्तानगंज की अछि ? जाह्न्नु गिरी व जहांगीरा?
श्रीहर्ष आचार्य
क्या है परम ज्ञान
क्या है परम ज्ञान
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
गीत/भजन- कहो मोहन कहो कृष्णा...
गीत/भजन- कहो मोहन कहो कृष्णा...
आर.एस. 'प्रीतम'
मां के कोख से
मां के कोख से
Radha Bablu mishra
ए दिल मत घबरा
ए दिल मत घबरा
Harminder Kaur
जुनून
जुनून
अखिलेश 'अखिल'
मां शारदे वंदना
मां शारदे वंदना
Neeraj Agarwal
मैंने कब कहा था
मैंने कब कहा था
Shekhar Chandra Mitra
कविता
कविता
Rambali Mishra
🙅तमाचा🙅
🙅तमाचा🙅
*प्रणय*
मैं मन के शोर को
मैं मन के शोर को
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
"तरुवर"
Dr. Kishan tandon kranti
शब्द और दबाव / मुसाफ़िर बैठा
शब्द और दबाव / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
*तू ही  पूजा  तू ही खुदा*
*तू ही पूजा तू ही खुदा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*अब मान भी जाओ*
*अब मान भी जाओ*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
शिकार और शिकारी
शिकार और शिकारी
आशा शैली
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
Anil chobisa
मुझे इंसानों में जीने का कोई शौक नही,
मुझे इंसानों में जीने का कोई शौक नही,
Jitendra kumar
धड़का करो
धड़का करो
©️ दामिनी नारायण सिंह
कौन करें
कौन करें
Kunal Kanth
*चलते रहे जो थाम, मर्यादा-ध्वजा अविराम हैं (मुक्तक)*
*चलते रहे जो थाम, मर्यादा-ध्वजा अविराम हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
बीते हुए दिन
बीते हुए दिन
rubichetanshukla 781
सूरज
सूरज
अरशद रसूल बदायूंनी
Loading...