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19 Jan 2021 · 2 min read

कोविड-19 और अब बर्ड फ्लू का शिकार मानव

प्रकृति की संरचना में हर जीव पदार्थ का अपना महत्व है। मानव एक ऐसा प्राणी है जिसे प्रकृति ईश्वर की तरफ से दिमाग दिया गया है। जिसकी वजह से वह सोच समझ सकता है। आए दिन होने वाले वैज्ञानिक आविष्कार इसी का परिणाम है। यह देखने में आया है कि मानव एक ऐसा प्राणी है जो अपने स्वार्थ पूर्ति के चलते अपने दिमाग और अविष्कारों का प्रयोग अधिकतर समाज हित में नहीं करता। जानवरों से लेकर मानव तक कुदरत की तरफ से अपना एक जीवन चक्र है जिसमें वैज्ञानिक खोजों के साथ मानव का हस्तक्षेप बढ़ता चला जा रहा है। सन 2020 में फैली महामारी कोविड-19 इसका परिणाम है। जिससे सन 2020 खत्म होने के पश्चात भी मानव अभी तक जूझ रहा है।
सन 2020 कोरोना काल के नाम से इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है। यह एक चिंता का विषय है कि अब भारत में 2021 की शुरुआत में बर्ड फ्लू के कारण कई राज्यों में असंख्य पक्षियों की मौत हो गई जिसमें बत्तख कव्वे इत्यादि कई पक्षी शामिल है। इससे पहले सन 2006 में बर्ड फ्लू विश्व के कई देशों में सामने आया था। आज भारत के कई राज्य जैसे केरला,उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश ,हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र दिल्ली आदि में पक्षियों की अचानक होने वाली मौतों के कारण सरकार द्वारा इन राज्यों को हाई अलर्ट पर रखा गया है तथा चिकन और अंडे ना खाने की हिदायत दी गई है। कई जगहों पर इसकी आयात निर्यात पर भी रोक लगाई गई है। जिसका असर मांसाहार मंडी पर देखने को मिल रहा है। जो लोग इस व्यापार से जुड़े हैं वह इस समय बुरी तरह से प्रभावित है। मांसाहार के शौकीन लोगों में भी असंतोष का देखने को मिल रही है।
एक के बाद एक नई बीमारी का आना मानव समाज के लिए कुदरत का एक विशेष संकेत है जिसे समझना अत्यंत आवश्यक है। विज्ञान की तरक्की के बावजूद कुदरत से जीत पाना मानव के बस की बात नहीं। आज जरूरत है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए जागरूक हो और कुदरत के साथ समन्वय बनाते हुए उसमें हस्तक्षेप करना बंद कर समाज हित में सोचें।

केशी गुप्ता
लेखिका समाज सेविका
द्वारका दिल्ली

Language: Hindi
Tag: लेख
507 Views
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