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18 Mar 2020 · 6 min read

#कोविड़ 19

कोविड 19 ( ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है, इसमें नमुद सभी राजनीतिक घटनाएं काल्पनिक है. केवल मनोरंजन हेतू कुछ देश, पात्र, स्थल, के नाम परिचित दर्शाएं गए है पर इसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं. इस कहानी में दर्शाई गई घटनायें भले ही काल्पनिक है पर इसमें आनेवाले भविष्य की आहट प्रतीत होती है. मानव जातीपे मंडराने वाला जैविक युद्ध हमे एक भीषण भविष्यसे अवगत और व्यथित करता है. ) साम्यवादी चीन द्वारा भारतीय दूतावास को चीन से यकायक गायब हुये महत्वपूर्ण व्यक्ति के बारेमे अवगत कराया गया. और वो व्यक्ति भारत में होने की संभावना जताते हुए उस व्यक्ति को खोजकर तुरंत चीन के हवाले करने की मांग की गयी. इस बारे में चीन के राष्ट्रपति ने खुद भारतीय प्रधानमंत्री से हॉट लाइन पर बात की. कौन था ये व्यक्ति ? जिसके गायब होने से चीन जैसी महासत्ता का अधिपति परेशान था. ये उन दिनो की बात है जब शांघई में चिनी साम्यवादी पार्टी के प्रमुख चेन लियांगयू को पार्टी में भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किया गया. और इस प्रांत की जिम्मेवारी आजके चीन के राष्ट्रपती शी जिनपिंग इनको सौंपी गयी. तथापि पार्टी की वर्किंग कमिटीने चेन लियांगयूने पार्टी के लिए दिया हुआ भूतपूर्व योगदान मद्देनजर रखते हुए और उनकी बौद्धिक क्षमता का आकलन करते हुये उन्हे टेक्सास के जैविक अनुसंधान केन्द्र में भेजा गया. इस केंद्र में जैविक युद्ध तथा कीटाणु युद्ध संशोधन संबंधित गतिविधियों का आकलन और नीति तय की जाती है. चीन का ये जैविक अनुसंधान केंद्र टेक्सास में होने की बड़ी वजह यह है की, यहां पे चमदागड पक्षीकी प्रजाती बड़ी मात्रा में पाई जाती है, और चमदागड पक्षी में साठ भयानक वायरस पाये जाते है. टेक्सास में इसकी सबसे बडी गुफा है. जैविक युद्ध के लिए यहां पर इनपर संशोधन किया जाता है. इससे उत्पन्न विषाणु और संसर्ग के कारण यहां कार्यरत लोगों का मृत्यु के आधीन हो जाना लगभग तय माना जाता है, इसलिए यहां पर सजा पाये हुए आपराधिक और गुनहगारों की नियुक्ति की जाती है. यहां की कार्यकारी समिति इस केंद्र पर वीडियो कॉनफ्रेंसिंग द्वारा सतत संपर्क बनाए रखती है. इस जैविक अनुसंधान केन्द्रपर रक्षा विभाग की कड़ी निगरानी रहती है. मार्च २०१८ में चीन ने पूर्व मिसाइल यूनिट कमांडर 63 वर्षीय लेफ्टिनेंट जनरल वेई फेंग अपना नया रक्षा मंत्री घोषित कर दिया. फेंग को राष्ट्रपति शी जिनपिंग का करीबी माना जाता है. वेई फेंग मिसाइल यूनिट ‘सेकेंड आर्टिलरी कॉर्प्स’ के दो हिस्सों में बंटने से पहले इसके कमांडर रह चुके हैं. इस मिसाईल युनिट में चेन लियांगयूने अॅक्टिव कमिटी मेंबर के तौरपर कुछ कार्यकाल सेवा व्यतीत की थी. चीन की संसद द्वारा वेई फेंग को रक्षामंत्री इस अहम पद के लिए चुना जाना चेन लियांगयु के लिये एक टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. अप्रैल २०१९ को लियांगयूने रक्षा मंत्रालय से रक्षामंत्री वेई फेंग से मीटिंग करवाने का अनुरोध किया. जिसके अनुसार लियांगयू और वेई फेंग इनके बीच मीटिंग आयोजित की गई. इस मीटिंग के तुरंत बाद दूसरे दिन वेई फेंग के साथ राष्ट्रपति की एक मीटिंग आयोजित की जाती है.और इस मीटिंग में बाद में लियांगयू को शामिल किया जाता है. तब चीन की राजनीति किस दिशा करवट ले रही है शायद इस बात का किसीको अंदेशा नही था. मई २०१९ को चीन के रक्षा मंत्रालय द्वारा लियांगयू को जैविक अनुसंधान में कार्यकारी अधिकारी का प्रभार सौपा जाता है. और जून २०१९ को चीन की संसद नेशनल पीपल्स कांग्रेस का एक विशेष अधिवेशन बुलाया जाता है जिसमें राष्ट्रपति द्वारा “विश्व में व्यापार में क्रांति के बाद अब हमे एक नये क्रांति के लिये सज्ज होना है , मै आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं इस क्रांति के बाद इस विश्व का अधिपति चायना ही होगा ” इस अभिभाषण के बाद संसद में जैविक युद्ध संबंधित एक स्वतंत्र सेना के गठन का प्रस्ताव पारित किया जाता है. जिसको जैविक सुरक्षा सेना नाम दिया जाता है. जैविक अनुसंधान के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्ति से अब लियांगयू की पार्टी में हैसियत बढ गई थी. जुलाई २०१९ को होनेवाली पार्टी मीटिंग आयोजन कमेटी में लियांगयू का भी समावेश किया गया था. जिसके अनुसार बुहान इंटरनेशनल एयरपोर्ट पे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीसी) के पार्लमेंट्री बोर्ड के सदस्यों का स्वागत किया गया. और यांग्त्जी नदी के किनारे बसे हाईटेक सिटी में इन सदस्यों का निवास प्रबंधन किया गया. और उसकी देखभाल खुद लियांगयू कर रहे थे. लियांगयू को पार्टी पद से शंगाई में निष्काशित करनेवाले वो चार सदस्य भी उस पार्लमेंट्री बोर्ड में सामिल थे उनका ध्यान लियांगयू द्वारा खास रखा जा रहा था. नवम्बर २०१९ को बुहानमें डॉ. ली वेनलियांग के अस्पताल में स्थानीय सी-फूड मार्केट से करीब सात मरीज़ पहुंचे. ये वही डॉ ली वेनलियांग थे, जिन्होंने दुनिया को पहली बार इस जानलेवा वायरस से आगाह कराया था. बहरहाल इन मरीज़ों के लक्षण देखकर ही डॉ ली को समझ में आ गया कि ये सभी के सभी किसी अनजान घातक वायरस के शिकार हो गए हैं. उन्होंने फौरन इस बीमारी के बारे में दूसरे डॉक्टरों को अलर्ट किया. और इस वायरस के बारे में अपनी रिपोर्ट दी. इतना ही नहीं इस बारे में उन्होंने वीचैट एप पर अपने मेडिकल कॉलेज के एलुमनी ग्रुप में भी जानकारी दी. सरकार को इस बारे में आगाह करते उसके पहले ही कुछ ही घंटों में उनके मैसज का स्क्रीनशॉट वायरल हो गया. दिसंबर २०१९ को बूहान में पार्टी मीटिंग में उपस्थित सदस्यों का कोरोना से बारी बारी में मृत्यु हो जाती है जिसमें लियांगयू को निष्कासित करनेवाले वो चार सदस्य भी सामिल थे. और फ़िर दिसंबर २०१९ का अंत होते होते सारी दुनियां में कोरोना का कहर फैलता है. और देखते ही देखते विश्व के १२५ देशों में वो छा जाता है. और भारत भी उसकी चपेट में आ जाता है पर सारे भारत देशवासी इसका डटकर मुकाबला करते है. प्राचीन आयुर्वेद शास्त्र और आधुनिक चिकित्सा शास्त्र से संपन्न भारतवासी कोरोना से इस मनुष्य जाती का संरक्षण करने के लिए सिद्ध हो जाते है और इसी बीच कोरोना वायरस को लेकर भारत को बड़ी कामयाबी हासिल होती है. पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी के वैज्ञानिकों ने कोरोना को पृथक कर लिया जाता है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने जयपुर और आगरा के संक्रमित मरीजों में स्ट्रेन को पृथक करने के बाद उसकी वुहान के स्ट्रेन से जांच करने के बाद ये कामयाबी हासिल कर लेते है. भारत में कोरोना वायरस की जांच के लिए देशभर में प्रयोगशालाएं काम कर रही थी. और देश की वैदकिय संस्थाने और अगणित डॉक्टर्स दिन रात इसके लिए मेहनत कर रहे थे, वायरस की जांच करने के बाद स्ट्रेन को आइसोलेट किया गया सामने आ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों में वैज्ञानिकों ने न सिर्फ स्ट्रेन की पहचान कर ली , बल्कि उसे आइसोलेट (पृथक) करने में भी सफलता हासिल कर ली. और वायरस की जांच के लिए किट को संशोधित किया गया , और दवा के साथ टिके को भी खोज लिया. कोरोना दवाई और टिके के पेटेंट से भारत विश्व में सबसे अमीर देश बनता है. भारत सरकार की ओर से इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) के सामने लियांगयू हाजिर किया जाता है और पूरे विश्व में खलबली मच जाती है. लियांगयू को सुनने के बाद अंतरराष्ट्रीय कोर्ट चीन को अंतरराष्ट्रीय गुनहगार घोषित करता है. विश्व के सभी देश चीन से व्यापारिक रिश्ता तोड़ देते है. जो चीन भारत से जैविक युद्ध शुरू करना चाह रहा था वो खुद कोरोनासे तबाह हो गया. कोरोना से अमेरिका की अर्थ व्यवस्था लड़खड़ा गई. जो आतंकी देश थे वो कोरोनासे खुद आतंकित हो गए. भारत का पारंपरिक शत्रु पाकिस्तान ने भारत के आगे घुटने टेक दिए और भारत एक मजबूत शक्ति बनके विश्वमे उभर आता है. किसी युद्ध में किसी व्यक्ति, पशु अथवा पौधे को मारने के उद्देश्य से उसके उसमें जीवाणु, विषाणु अथवा फफूंद जैसे जैविक आविष अथवा संक्रमणकारी तत्वों का उपयोग करना गुनाह माना जाता है. परम्परागत अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी विधियों एवं कई अंतर्राष्ट्रीय सन्धियों द्वारा जैविक हथियारों का प्रयोग प्रतिबन्धित है सशस्त्र-संघर्ष के दौरान जैविक हथियारों का इस्तेमाल युद्ध-अपराध की श्रेणी में आता है. हालही में एक अंतरराष्ट्रीय शिखर संमेलन आयोजीत किया जा रहा है जिसमे जैविक युद्ध अथवा कीटाणु युद्ध के खिलाफ सभी देशों को सतर्क किया जायेगा. पर क्या भरोसा कब कहां पे हिटलर या किम जोन्स पैदा हो जाये या इस कहानी का लियांगयू जैसा काल्पनिक पात्र प्रतिशोध के लिए जीवित हो जाये ? ❤ ठाकुर छतवाणी ( श्री मित्रा जसोदा पुत्र )

Language: Hindi
1 Like · 643 Views
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