कोरोना
01 चुकता इकदम हो गया , मूल सहित सब सूद ।
पानी का पानी हुआ , हुआ दूध का दूध ।।
हुआ दूध का दूध , सन्तुलन प्रकृति बनाये ।
अंतरिक्ष पर विजय , यहाँ कुछ समझ न आये ।
प्रकृति से खिलवाड़ , आज तो चिंतन बनता।
मूल सहित सब सूद हो गया इकदम चुकता ।।
02 भारत की जो धाक है ,अखिल विश्व में व्याप्त ।
कुछ अपनों की वजह से , इकदम हुई समाप्त ।।
इकदम हुई समाप्त , बचा अब केवल रोना ।
कल तक था कंट्रोल , देश में खल कोरोना ।
जब संकट का समय, परीक्षा हो अपनों की ।
अपने करते नष्ट , धाक है जो भारत की ।।
03 लॉक डाउन को तोड़कर ,करते अनुचित काज ।
धोका दे अल्लाह को , छिपकर पढ़ें नमाज ।।
छिपकर पढ़ें नमाज , खुदा है घट घट वासी ।
घोर आपदा जगत , बने हम सत्यानाशी।
करें कौम बदनाम , जरूरी शिक्षा इनको ।
नहीं बने शैतान , तोड़कर लॉक डाउन को ।।
04 जितना साफ समुद्र है , उतना ही आकाश
नदियाँ पर्वत वायु सब ,मुक्त संक्रमण पाश मुक्त संकमण पाश , सुखद दिखती हरियाली ।
पशु ,पक्षी ,वन जीव , सभी ने राहत पा ली ।
लॉक डाउन से दुखी , मनुज बस समझे इतना ।
जो बोया वह उगा , बाहर तक दिखता जितना ।।
05 कोरोना की वृद्धि में , रहे चंद जयचंद ।
राष्ट्र द्रोह में रत सदा , नीच मूढ़ मतिमंद ।।नीच मूढ़ मतिमंद , नहीं कुछ चिंता इनको अपनों से निज घात , मिले सदबुद्धि इनको
आत्मघात की तरफ , हाय अब केवल रोना ।
बन्धु अभी भी समय , रोक दो खल कोरोना।।
06 स्वच्छ कर्मियों तुम सदा , श्रध्दा के हकदार ।
प्रभु से पहले तुम्हें, अब नमन करूँ हरबार ।।
नमन करूँ हरबार , सभी जब घर में अपने
। करते दुष्कर कार्य , ध्वस्त कोरोना करने ।
साथ चिकित्सक पुलिस , नमन सब कर्म धर्मियों ।
श्रध्दा के हकदार , सदा तुम स्वच्छ कर्मियों ।।
07 आओ सब मिलकर लड़ें , कोरोना से जंग ।
इसके कारण विश्व के , फीके सारे रंग।।
फीके सारे रंग , हमारा करा धरा सब ।
अब भी तोड़ें नियम, द्वार पर मौत खड़ी जब ।
लॉक डाउन को मान , बचो खुद और बचाओ ।
बाहर बिल्कुल नहीं , आओ सब घर में आओ ।।