कोरोना
विधा श्रृंगार छंद
विकट है कोरोना का ज्वार|
मचा है जग में हाहाकार||
सभी के संकट में है प्राण|
नहीं मिलता है इससे त्राण|
वाइरस का ऐसा संचार|
मचा है जग में हाहाकार||
लगा कर मास्क निकलते लोग|
भयंकर कितना है यह रोग|
हुए हैं इससे सब लाचार|
मचा है जग में हाहाकार||
सभी अच्छे से धोना हाथ|
रखें धीरज को अपने साथ|
करें सब कोई शाकाहार|
मचा है जग में हाहाकार||
जोड़कर करना हाथ प्रणाम|
मिटे तब कोरोना का नाम|
खत्म हो कोरोना का वार|
मचा है जग में हाहाकार||
-लक्ष्मी सिंह
-नई दिल्ली