कोरोना
Content कविता कोरोना
कोरोना कोरोना
कर के रोना मत ।
मुह पर कपड़ा
हटा के खोना मत ।
हाथ साबुन से धोये
डरोना डरोना ।
छिक आए तो भी
घर से निकलो ना ।
कुछ खुशियां है
घर तुम्हारी
तुम गँवाओ ना
भारत वैदिक गुरु है
तुम खो ओ ना
दूर रहकर बात करो
पास आओ ना
तुम भुलो ना
कोरोना तो गंभीर है
पर तुम डरो ना।
मुंह पर कपड़ा
हटाके खोना मत
कवि प्रवीण पण्ड्यां
शहर डुंगरपुर