कोरोना
(गीत )
गीत सिरजो हौसलों के, गीतकारों!
हौसला इस समय कम होने न पाए।
चला ही आ रहा बढ़ता लीलने को जग समूचा –
काल का यह रथ विनाशी नित दिवस गतिमान होकर।
किन्तु निश्चित है कि जाना पड़ेगा उसको यहाँ से-
यदि लड़ेगा विश्व सारा एक बस इन्सान होकर।
गीत सिरजो हिम्मतों के, गीतकारों!
जीतने की आस कम होने न पाए!
स्वास्थ्यकर्मी या कि वर्दी पहन जो पहले दिवस से-
आपके हित में खड़े जो-गीत दो उनकी शपथ को।
और उनको लाख लानत भी लिखो-जो थूकते है-
या कि पत्थर मारते हैं , जा रहे थे जो सुपथ को ।
गीत सिरजो ताकतों के, गीतकारों!
वर्दियों की धाक कम होने न पाए।
— प्रभात पटेल ‘पथिक’
भोपाल, मध्यप्रदेश