कोरोना
कोरोना (कुंडलिया छंद)
मांसाहारी चीन से, फैला है यह रोग।
रुधिर पान ऐसा किया, छोड़ा नहीं निरोग।
छोड़ा नहीं निरोग, ग्रसित इससे जग सारा।
ढूँढ़ रहा उपचार, बचा कब देश हमारा।
सुन ‘रजनी’ की बात बचो बन शाकाहारी।
जीवों का अभिशाप, बना है मांसाहारी।
कोरोना के कहर से , जग में हाहाकार।
सर्दी ,खाँसी, छींक से पाता यह विस्तार।
पाता यह विस्तार बीमारी आई भारी।
कैसे हो कल्याण ,विचारे दुनिया सारी।
कह ‘रजनी’समझाय, नहीं यह जादू-टोना।
तापमान का तेज़ , मिटाता यह कोरोना।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’