कोरोना
हरि हरि की गुहार कर
भगवान को पुकार कर
मानव आज चीख़ रहा
मृत्यु निकट जान कर।
मंदिर में कर पूजा पाठ
गलती अपनी सुधार रहा
कैसे निपटें महामारी से
मन में कर विचार रहा।
हर ओर फैला डर है
हर ओर ही मातम है।
कल तक तो था सुहाना
आज मौत का मौसम है।
उपाय न दे कोई सुझाए
भीषण महामारी से अब
भला कैसे निपटा जाए।
हर कोई ये दिमाग़ लगाए।
जनता घर मे बैठी चिंतित
कैसे पैसा घर मे आए।
बैठ बैठ कर घर के भीतर
मन की उलझन बढ़ती जाए।
इधर कोरोना उड़ता जाए
सर पर अपने पंख लगाए।
इसको उसको काटकर
सबको ही बीमार बनाए।
मीडिया कर रही प्रचार
कोरोना रहा टांग पसार।
मरने वालों की सँख्या
दो,चार से हुई हजार।
खत्म कभी न होगा अब
कहर जो हमपे बरसा है।
कल तरसा था बेजुबाँ जानवर
आज इंसान रोटी को तरसा है।