कोरोना
चंद लोगों को शोहरत का सुरूर था
चंद लोगों को ताकत का गुरुर था
चंद लोगों ने कुदरत का उसूल न माना
अब किस काम का है सर पीटना पछताना
किस काम का है अब रोना धोना
आज सबको सता रहा है कोरोना
जंग अब हर जिंदगी का तकाज़ा है
कुदरत से खिलवाड़ का खामियाजा है।