Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2020 · 3 min read

कोरोना से लड़ने की वैदिक धारणा

हरी: ॐ

पुरुषएवेदं सर्व यद्भूतं यच्च भाव्यम् |
उतामृतत्यस्येशानो यदन्नेनातिरोहति।।

आज समूचा विश्व कोरोना की चपेट में है। भारतवर्ष भी इससे अछूता नहीं है। किन्तु स्वास्थ्य की दृष्टि से भारत की स्थिति अन्य राष्ट्रों की अपेक्षा सुदृढ़ है। जहां एक ओर कोरोना के कारण उत्पन्न मृत्यु-दर कम है, वहीं स्वास्थ्य लाभ की दर अधिक है। हमारे देश की एक बड़ी आबादी कुपोषित एवं गरीबी के प्रभाव से पीड़ित है। ऐसे में जहां एक ओर दुनिया इससे आश्चर्यचकित है, वहीं दूसरी ओर इसके पीछे अनेक कारण एवं तर्क भी दिए जा रहे हैं।

एक बड़ा धड़ा यह मानता है कि भारतीयों का वैदिक दृष्टिकोण एवं जीवनयापन की शैली एक बड़ी वजह है। खानपान की उपलब्धता, चुनाव एवं सुचिता सभी पर वेदों में दर्शन उपलब्ध है। हम सभ्यता के तौर पर कितना भी बदल जाएं परन्तु हमारी संस्कृति अक्षुण रहती है। यही वजह है कि इस देश में अन्न को देव तुल्य माना गया है। मांसाहार की प्रवृत्ती भी शाकाहार के नियमों के ही अधीन है। अर्थात् जो खाद्य है केवल उसी का सेवन करना है और जितनी आवश्यकता है उतना ही प्रकृति से लेना है।

यही नहीं, भोज्य पदार्थों का सेवन भी मौसम, व्यक्तिगत अवस्था, उनके गुण धर्म एवं सहचर्य के प्रभाव के आधार पर निर्धारित है। आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास से लेकर बीमारियों के जड़ तक पहुंच कर उपचार करने के तरीके वर्णित हैं। वर्तमान सरकार के राज्यश्रय से आयुष विभाग जल्द ही वर्तमान महामारी पर नैदानिक ​​परीक्षण करने जा रहा है।

जीवनशैली की बात करें तो झुककर सम्मानपूर्वक नमस्कार करना हमारा राष्ट्रीय अभिवादन है। किन्तु हम पाश्चात्य सभ्यता की ओर झुक गए और हैंडशेक कर बीमारियां घर लेे आए। सामाजिक दूरी की संकल्पना करने वाला पश्चिम जब नमस्ते अपनाने की बात करता है तो यह स्पष्ट हो जाता है कि हम दो कदम हमेशा आगे थे। परन्तु सामाजिक दूरी का सिद्धांत पूर्णतः गैर वैज्ञानिक है। वस्तुतः शारीरिक दूरी एवं सामाजिक सदभाव का पालन करने पर बल देना उचित है। बाहर से लौटकर घर आने पर चौखट पर पैर, हाथ और मुंह धुलकर ही प्रवेश करना हम भूल गए। वसुतः हमने चौखट है समाप्त कर दी। रेफ्रिजरेट करने के चक्कर में हमने ताजे फल एवं सब्जियों के प्रयोग को कम कर दिया। उपभोगवादी बाज़ार ने हमें वो खरीदने की आदत डाल दी जो हमें चाहिए भी नहीं था। भोग की यही अवधारणा विनाश का कारण है। अर्थव्यवसथाओं के टूटने का कारण भी इसका भोग जनित एवं आधारित होना है।

यह वैदिक दर्शन ही है कि बंदी के इस दौर में जब समाज का एक बड़ा वर्ग भूख से व्याकुल है, तब मनुष्यता की पराकाष्ठा देखने को मिल रही है। अनेकोनेक व्यक्ति, संगठन, सहायता समूह, धार्मिक अनुष्ठान इत्यादि यथाशक्ति इस मानव कार्य में अपनी आहुति दे रहें हैं। यही तो यज्ञ है। यज्ञ, कर्मकांड की विधि है जो परमात्मा द्वारा ही हृदय में सम्पन्न होती है। जीव के अपने सत्य परिचय जो परमात्मा का अभिन्न ज्ञान और अनुभव है, यज्ञ की पूर्णता है।

तो वास्तविकता में भारतीयता एवं वैदिक परंपरा कैसे कोविड-१९ से लड़ने और इसके पश्चात फिर से भारत को विश्वगुरु बनाने में उपयोगी है, यह एक बड़ा प्रश्न है जिसका जवाब हमें ही ढूंढना है।

हमें उन ग्रंथों में झांकना होगा। हमारे अतुलनीय ज्ञान को चुराकर हमें ही आंखे दिखाने वाले पश्चिम को दिखाना होगा की भारत विश्व गुरु क्यों था। हमें अपनी चिकित्सा पद्धति पर भरोसा करना होगा उसे बढ़ावा देना होगा। भावप्रकाश नीघंटू जैसे अतुलनीय ग्रंथ हमें मुख्यधारा में लाने पड़ेंगे। ध्यान रहे चीन ने भी कोविड-१९ से लड़ाई में अपनी पारंपरिक चिकित्सा का पूरा प्रयोग किया जिसके प्रभाव सकारात्मक थे। हमें आंख मूंद कर पश्चिम को श्रेष्ठ मानना बंद करना पड़ेगा क्योंकि इस लड़ाई में सबसे पीछे वही हैं। हमें खुद खड़ा होना पड़ेगा।

छोटे से इस आलेख में बहुत लिखना कठिन है। एक महर्षि से यमराज ने पूछा आप ने जीवन में बहुत उत्तम कार्य किए यदि आपको १०० वर्ष की आयु और दूं तो आप क्या करेंगे वह बोले मैं वेद पढूंगा। यमराज ने कहा और सौ वर्ष दूं, तो महर्षि फिर बोले मैं वेद पढूंगा। अर्थात् वेदों का ज्ञान इतना गहरा है इसे जितना पढ़ेंगे उतना ही कम है। और सभी ज्ञान इसी में समाहित है। जरूरत है वह दृष्टि रखने की।

Language: Hindi
Tag: लेख
6 Likes · 14 Comments · 562 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
यौम ए पैदाइश पर लिखे अशआर
यौम ए पैदाइश पर लिखे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
एक संदेश युवाओं के लिए
एक संदेश युवाओं के लिए
Sunil Maheshwari
हम लड़के हैं जनाब...
हम लड़के हैं जनाब...
पूर्वार्थ
क्षणिका
क्षणिका
sushil sarna
"मिस कॉल"
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी को जीने का तरीका न आया।
जिंदगी को जीने का तरीका न आया।
Taj Mohammad
आज फ़िर
आज फ़िर
हिमांशु Kulshrestha
सम्बन्ध वो नहीं जो रिक्तता को भरते हैं, सम्बन्ध वो जो शून्यत
सम्बन्ध वो नहीं जो रिक्तता को भरते हैं, सम्बन्ध वो जो शून्यत
ललकार भारद्वाज
लाल बहादुर
लाल बहादुर
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
3920.💐 *पूर्णिका* 💐
3920.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
खुदा तू भी
खुदा तू भी
Dr. Rajeev Jain
किसी की याद मे आँखे नम होना,
किसी की याद मे आँखे नम होना,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
तन्हाई
तन्हाई
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
व्यवहार अपना
व्यवहार अपना
Ranjeet kumar patre
"YOU ARE GOOD" से शुरू हुई मोहब्बत "YOU
nagarsumit326
बाप की गरीब हर लड़की झेल लेती है लेकिन
बाप की गरीब हर लड़की झेल लेती है लेकिन
शेखर सिंह
*उधो मन न भये दस बीस*
*उधो मन न भये दस बीस*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Oh, what to do?
Oh, what to do?
Natasha Stephen
आप लाख प्रयास कर लें। अपने प्रति किसी के ह्रदय में बलात् प्र
आप लाख प्रयास कर लें। अपने प्रति किसी के ह्रदय में बलात् प्र
इशरत हिदायत ख़ान
हम मुहब्बत के परस्तार रियाज़ी तो नहीं
हम मुहब्बत के परस्तार रियाज़ी तो नहीं
Nazir Nazar
जो भी सोचता हूँ मैं तेरे बारे में
जो भी सोचता हूँ मैं तेरे बारे में
gurudeenverma198
!! कौतूहल और सन्नाटा !!
!! कौतूहल और सन्नाटा !!
जय लगन कुमार हैप्पी
आत्मबल
आत्मबल
Punam Pande
थोड़ा अदब भी जरूरी है
थोड़ा अदब भी जरूरी है
Shashank Mishra
मेरे कुछ मुक्तक
मेरे कुछ मुक्तक
Sushila joshi
..
..
*प्रणय*
आवश्यक मतदान है
आवश्यक मतदान है
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
33 लयात्मक हाइकु
33 लयात्मक हाइकु
कवि रमेशराज
आज का पुरुष औरतों को समान अधिकार देने की बात कहता है, बस उसे
आज का पुरुष औरतों को समान अधिकार देने की बात कहता है, बस उसे
Annu Gurjar
Loading...