कोरोना संबोधन
कोरोना-संबोधन
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आठ बजे मोदी संबोधन
छूता आसमानी बुलन्दी
शाब्दिक भावुक प्रहार से
होती है उस दिन पाबन्दी
प्रथम संबोधन जब आया
जुगलबंदी ना थी रजामंदी
लोग देखते ही थे रह गए
देश में हो गई थीं नोटबंदी
द्वितीय संबोधन जब आया
कोराना था उत्पाद मचाया
महामारी की रोकथाम में
स्वेच्छा आवागमन की बंदी
तृतीय संबोधन अब आया
कोरोना का जब बढ़ा साया
देशहित-जनहित में निर्णय
देश में लगाई पूर्ण तालाबंदी
सबसे यह करबद्ध गुजारिश
मोदी जी की माने सिफारिश
कोरोना को जड़ से मिटाना
कर लें घर में सब नाकाबंदी
आओ मिलकर कदम बढ़ाए
कोरोना वायरस मार गिराएं
मोदी मुहिम के साथ हो जाएं
हो जाए सार्वजनिक रजामंदी
कोरोना चक्र गर टूट जाएगा
खतरे का घूघू भी टूट जाएगा
सुखविंद्र फिर होगी खुशहाली
ना होगी फिर कोई नजरबंदी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी रा़ओ वाली (कैथल)