कोरोना वैश्विक आपदा पर
यह विश्व विजन सब स्थिर सा
वैश्विक व्याधि जब है समक्ष ।
सामर्थ्य, शक्ति, चहुं और प्रगति
है सब निस्सार निष्फल प्रयत्न।
है भान सभी को व्याधि बड़ी
अन्तर के चक्षु भी खोल रही।
पल भर विराम स्वीकार नहीं
आगे बढ़ना नित होड़ रही ।
सोंचो क्या है अनमोल यहां ?
ये जीवन धन या वित्त सघन ।
धन के पीछे भागे अब तक
एकान्त मिला अब करो मनन ।
कितने ही विकसित राष्ट्र यहां
बहुमूल्य सम्पदा धारे हैं ।
क्षत मनुज सम्पदा हुई बहुत
सब निधि, पर जीवन हारे हैं ।
आशा है विश्व आपदा ये
कुछ सीख अवश्य दे जाएगी।
ये विश्व निरामय होते ही
मानवता फिर मुसकायेगी ।