कोरोना रिपोर्ट
निर्मला की तबियत पिछले चार दिनों से कुछ ठीक नहीं थी। खाँसी आ रही थी और हल्का बुखार भी रहता था। लॉक डाउन की वजह से घर से बाहर भी निकलना मुश्किल था। पर मन बदलने के लिए रोज सुबह वॉक के लिए निकल जाती थी। आज भी वॉक पर जाने का टाइम हो गया तो पड़ोस की नीना ने आवाज दी- श्रेय बेटा, दादी को भेज दो। निर्मला ने आवाज सुन ली थी, वो नीचे आ गई।
उसने श्रेय से कहलवा दिया कि दादी आज नहीं जाएंगी। वो अपने कमरे में आकर लेट गई। बड़ा बेटा जब ऑफिस के लिए जा रहा था तो कमरे में आया – माँ, आपने नाश्ता नहीं किया। श्रेय बता रहा था कि आपकी तबियत सही नही है क्या हुआ है? उसने कहा – बस थोड़ी सी कमजोरी है बेटा, और कुछ नहीं। ख्याल रखने की हिदायत देकर वो चला गया। दोपहर को छोटे बेटे का फ़ोन आया उसने कहा – माँ कब से समझा रहा हूँ आपको जाँच करवा लो, कहीं कोरोना हुआ तो, वो कहते- कहते रुक गया। निर्मला परेशान होते हुए बोली- मुझे नही होगा कोरोना- वोरोना। बस बुढ़ापे का असर है और कुछ नही। खैर थोड़ा ना-नुकर के बाद वो मान गई। उसने बहू को साथ चलने के लिए कहा पर उसने साफ मना कर दिया। नीना के घर भी गई, हरदम साथ जाने के लिए तैयार रहने वाली नीना ने भी एक साथ कई सारे झूठे बहाने बनाकर अपनी मजबूरी जाहिर की। निर्मला ने अपनी दोपहर की दवाइयां ली और फिर थोड़ी देर बाद वो तैयार होकर हॉस्पिटल की तरफ चल पड़ी।
हॉस्पिटल में बहुत भीड़ थी, उसे लम्बे समय तक इंतजार करना पड़ा। यहाँ तो अच्छा खासा आदमी मरीज़ बन जाए ,वो बड़बड़ाई। अपनी बारी आने पर उसने भी टेस्ट कराया, डॉक्टर ने बताया कि रिपोर्ट कल मिलेगी। वो घर की तरफ चल पड़ी। रास्ते में उसने श्रेय के लिए आम खरीदे और फिर उसे याद आया कि सरला से वो काफी दिन से नहीं मिली थी। सरला पड़ोस में ही रहती थी पर उसका घर थोड़ा दूर पड़ता था इसलिए जल्दी आना-जाना नही हो पाता था। सरला के घर पहुंचकर उसने डोरबेल बजाई पर कोई नही आया। उसने आवाज देकर भी बुलाया पर कोई जवाब नही आया। थोड़ी देर बाद उसे दरवाजे को अंदर से बंद करने की आवाज आई। वो हैरान थी। थोड़ी देर बाद वो घर वापस लौट आई। घर पर भी सन्नाटा पसरा हुआ था। शायद श्रेय सो गया होगा, उसने मन ही मन सोचा। नीचे अपने कमरे में आकर उसने दवाइयां रखी और फिर सीढियाँ चढ़ते-चढ़ते आवाज लगाई- श्रेय देखो दादी क्या लाई है आपके लिए, आपके फेवरेट मैंगोज। ऊपर पहुंची तो देखा कि बहू का कमरा बन्द था और अंदर से श्रेय की रोने की आवाज आ रही थी बहु उसे डाँटते हुए कहा रही थी कि दादी के पास जाने की कोई जरूरत नही है, उन्हें कोरोना हो गया है। निर्मला हतप्रभ सी वही खड़ी रह गई। उसने किचन में जाकर आमों को धोया और फिर फ्रिज में रख दिये। श्रेय के बिना वो एक भी आम ना खा सकी। बेटा आफिस से लौट आया था। बिना कोई हालचाल पूछे उसने कहा दिया, माँ आप ऊपर मत आइएगा आपका खाना नीचे ले आऊंगा।
निर्मला ने कोई जवाब नही दिया कहती भी क्या। छोटे बेटे का भी फ़ोन आया, दूर से क्या कर सकता था वो । बस इतना कहा कि माँ कल रिपोर्ट आने के बाद मुझे तुरन्त फ़ोन करना, मैं आ जाऊंगा। निर्मला ने ठीक है कहकर फोन रख दिया। उसने रात को खाना भी नही खाया। इतना तो वो बीमारी से कमजोर नहीं पड़ी थी, लोगो का ये व्यवहार उसे और भी कमजोर बना रहा था। रात भर वो ना जाने क्या- क्या सोचती रही। सुबह देर से नींद खुली। उसने झाँक कर देखा श्रेय ऑनलाइन क्लास ले रहा था। वह उठकर बालकनी पर आ गई। हमेशा उसके गुण गाने वाली पड़ोसन की बहू भी अपनी बालकनी पर चाय का लुत्फ ले रही थी उसे देखते ही वो तुरंत अंदर चली गई और फिर दरवाजे और खिड़कियाँ बन्द कर दी। कोरोना टेस्ट की भनक पूरे मोहल्ले को लग चुकी थी। निर्मला हँस पड़ी।
अंदर से वो खुद को बहुत अकेला महसूस कर रही थी। आज नाश्ते के लिए भी नही पूछा गया था। श्रेय क्लास खत्म होने के बाद चुपचाप उन्हें नाश्ते की प्लेट दे आया – मम्मा अभी नहा रही है आप खा लीजिए। उसकी आँखों से आंसू निकल पड़े। रिपोर्ट के बारे में सोचकर बहुत बेचैनी हो रही थी। उसने नाश्ता किया और फिर कमरे में जाकर लेट गई।
छोटे बेटे का फोन कई बार आ चुका था।
थोड़ी देर बाद डोरबेल बजी वो लपककर दरवाजे पर पहुँची। रिपोर्ट आ चुकी थी। उसने डॉक्टर को मजबूरी बताई थी इसलिए उन्होंने घर पर ही रिपोर्ट भेज दी थी। निर्मला ने दरवाजा भी बंद नही किया।कमरे पर आकर उसने देखा- कोरोना नेगेटिव । उसकी आँखें आँसुओ से भीग गई। दौड़ते हुए वो ऊपर गई। श्रेय को गले से लगा लिया। दादी की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव है श्रेय। वो न जाने कितनी देर तक उसे गले से लगाये यही कहती रही। श्रेय की खुशी का तो ठिकाना ही नही था। दो मिनट के अंदर ही वो पूरे मोहल्ले में इस बात का प्रचार कर आया। नीना तो तुरंत घर मिलने भी चली आई- मैं पहले ही कह रही थी तुम्हे कोरोना नहीं होगा। निर्मला ने कोई जवाब नही दिया बस मुस्कुरा दी।
पर अगर उसे कोरोना होता तो… ये सोचकर उसकी रूह कांप उठी। उन लोगों के बारे में सोचकर जो इस मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं , उसकी आँखों से आँसुओ का सैलाब उमड़ पड़ा।
श्रेय आ चुका था। अब आप क्यों रो रही हो आपको तो कोरोना नही है।निर्मला ने उसे गले से लगा लिया।
वाकई में इस कोरोना काल मे बहुत से लोगो ने बेहद मुश्किल हालातों का सामना किया है। आप सभी पाठकों से मेरा अनुरोध है कि किसी को भी हींन दृष्टि से देखने के स्थान पर उसकी हरसंभव मदद के लिए आगे आएं और मानव होने का फर्ज निभायें।
एक कदम मानवता की ओर।
– मानसी पाल ‘मन्सू’