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17 Apr 2021 · 5 min read

कोरोना बीमारी और समय की जरूरत

कोरोना , एक भूत बीमारी है । भूत बीमारी इसलिए जिसप्रकार कोई ओझा भूत को पकड़ लेता है इसीप्रकार डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों ने इस बीमारी को पकड़ तो लिया है किंतु किस प्रकार भगाना है उनके पास इसका कोई तर्कयुक्त समाधान नही है । ओझा भी भूत भगाने के लिए भिन्न भिन्न प्रयोग करता है उसीप्रकार डॉक्टर्स और वैज्ञानिक भी पीपीई किट पहन कर तमाम प्रयोग कर रहे हैं किंतु अभी तक कोई ऐसा समाधान नही निकला जिसे हर जगह हर मरीज पर लागू किया जा सके।
वास्तव में जिस प्रकार किसी व्यक्ति पर भूत आने के बाद भूत ही बताता है कि उसे कब जाना है कब नही और व्यक्ति को साथ लेकर जाएगा या नही ,कोरोना में भी यह सब जानकारी स्वयं कोरोना देता है ना कि डॉक्टर्स पता कर पाते । कोरोना बीमारी में भी अगर मरीज की तबियत ठीक है तो ठीक रहता है किंतु अगर केस बिगड़ना सुरु होता है तो सभी डॉक्टर ,वैज्ञानिक सब ओझा की तरह अपने थैले में से भिन्न भिन्न दवाई और मशीन निकालते रह जाते है और उधर कोरोना मरीज लम्बी लम्बी सांसे लेते हुए तड़फ तड़फ कर दम तोड़ देता है । जिसके ऊपर बैठा कोरोना बहुत हंसते हुए डॉक्टर्स को बाय बाय करता है और कहता है ” तेरी आस्था टूट चुकी है ,इसलिए मैं इसे अपने साथ लेकर जा रहा हूँ , रोक सके तो रोक ” । और फिर डॉक्टर उसके बाद एक से एक बड़े प्रयोग करता है ,वेंटिलेटर लगाता है ,रेमडेसीवीर दवाई देता है हर्ट के लिए सीपीआर करता है किंतु ओझा के प्रयोगों की तरह सब बेकार जाता है और अंत में जिसप्रकार कोई ओझा अपनी हार को राजनीतिक मौड़ देते हुए कहता है कि ये कोई मामूली भूत नही था बल्कि खतरनाक आत्मा थी उसी प्रकार डॉक्टर भी कहते है कि सारी कोशिशें की किन्तु केस बहुत बिगड़ चुका था।
देखा जाय तो कोरोना ने मेडिकल विज्ञान को पुनः 16वीं और 17वीं शदी में ला खड़ा कर दिया है जब यह आधुनिक पद्धति जन्म ले रही थी ,और इसके लिए कुछ उत्साही युवक आये दिन नए नए प्रयोग करते रहते थे। उसी प्रकार आज कोरोना ने यही स्थिति मेडिकल विज्ञान के सामने यही स्थिति खड़ी कर दी है। जितने चाहे उतने प्रयोग करो जितने चाहे उतने तुक्के मारो कोरोना बीमारी के ऊपर और कोरोना बीमारी को ठीक करने के दावों के ऊपर। और देखा जाय तो यही हो रहा है देशो की सरकारें भिन्न भिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों के आधार पर कोरोना बीमारी के हर दिन नए नए लक्षण बतातें है और हर दिन नए नए इलाज बताती है किंतु कोई भी एक लक्षण और एक इलाज सभी जगह सही नही बैठ पा रहा है।
करोङों डॉलर/रुपया खर्च करके वैक्सीन बनाई वो भी कोरोना बीमारी आने के एक साल के अंदर ही अंदर, किन्तु कारगर नही हो पा रही है , जिनको वैक्सीन लगी है उनको भी उसी प्रकार कोरोना बीमारी हो रहा है जिस प्रकार जिनको नही लगी है , इसके बाबजूद भी सरकारें अपने नागरिकों से भावुक अपील कर रही है कि वैक्सीन जरूर लगवाएं ।
फिर भी जो भी हो, डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी और हर दिन अपनी जान पर खेलते हुए कोरोना बीमारी के हर चेलेंज को स्वीकार कर रहे हैं , और जनता एवम सरकार के लिए कोरोना बीमारी से लड़ाई में भविष्य की जीत की आशा बने हुए है ।
कोरोना एक नए प्रकार का वायरस है जिसकी उत्पत्ति का कारण नही पता चला है और ना ही पता चल पा रहा है कि यह इतनी जल्दी अपनी जेनेटिक संरचना को कैसे बदल लेता है । यही कारण है कि वैज्ञानिक इसके इलाज के लिए किसी एक ठोस समाधान पर नही पहुंचे हैं , साथ ही कोरोना से संक्रमण और फिर संक्रमित व्यक्ति का तीव्रता से मौत के मुँह तक जाना ही , इस वायरस को ज्यादा खतरनाक बना देता है ,अर्थात देखे तो कोरोना संक्रमण पता चलने से लेकर 10 से 14 दिन के भीतर संक्रमित व्यक्ति की तबियत इतनी खराब हो जाती है कि व्यक्ति मर तक जाता है । अर्थात डॉक्टर्स को इतना समय नही मिल पाता कि वो कुछ प्रयोग कर सकें ,उनको जो भी इलाज देना है वह राम बाण होना चाहिए किन्तु ऐसा ना के बराबर ही हो पाता है और जो हो जाता है फिर उसी इलाज को नए मरीजों पर दोहराया जाता है किंतु सबपर ये इलाज उतना सफल नही हो पाता।
यही बजह कोरोना संक्रमण को खतरनाक बनाती है अन्यथा एड्स,हेपेटाइटस,टीबी ,केंसर तमाम बीमारी है जिनसे आये दिन मरीज मरते हैं किंतु ये बीमारी होने के वाद डॉक्टर्स और मरीज के पास इतना समय आराम से होता है कि वो इसका जोड़ तोड़ निकाल सकें।
जो भी हो हम सबको इतना तो पता चल गया है कि कोरोना बीमारी व्यक्ति की इम्म्युनिटी से जुड़ी बीमारी है अर्थात जिन लोगों की इम्म्युनिटी कम होती है उनको यह आसानी से अपना शिकार बना लेता है और जो चाहता है वह कर लेता है किंतु जिनकी ज्यादा होती है उनका कोरोना कुछ नही कर पाता। इसलिए हम आये दिन देखते है मजदूर वर्ग जो अत्याधिक शारीरक मेहनत करता है उस वर्ग में कोरोना संक्रमण के मामले और और संक्रमण से मृत्यु के मामले ना के बराबर है जबकि उच्च वर्ग और मध्यम वर्ग जो शारीरिक काम केवल भोजन खाने तक ही करता है उनमें कोरोना संक्रमण के मामले बहुत ज्यादा है क्योंकि उनकी इम्म्युनिटी मजदूर वर्ग के मुकाबले के हजार गुना कम होती है।
इसलिए जब यह पता ही चल गया है कि इम्म्युनिटी कोरोना को भगा सकती है तो , जब तक इस बीमारी का कोई ठोस और कारगर इलाज नही मिलता हम सबको अपनी इम्म्युनिटी बढ़ाने पर जोर देना चाहिए जिसके लिए जरूरी है प्रतिदिन व्यायाम और शुद्ध खाना एवम आलस की जिंदगी का त्याग एवम शराब,सिगरेट,जनक फूड इत्यादि ऐसे सभी भोजन का परित्याग जो हमारी इम्युनिटी को कम करते है।
इसलिए हम अपनी इम्युनिटी बढ़ाकर एक तरफ कोरोना संक्रमण के फैलाब को रोक सकते है तो दूसरी तरफ डॉक्टर्स एवम वैज्ञानिको को भी उतना समय उपलब्ध कर सकते है कि इस बीमारी पर वो अच्छे से प्रयोग कर कोई कारगर इलाज ढूंढ सकें।
इसलिए शरीर की इम्युनिटी ही इस समय , समय की जरूरत बनी हुई है ।

Language: Hindi
Tag: लेख
7 Comments · 243 Views
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