कोरोना बख्श दो जिंदगी
कोरोना बख्श दो जिंदगी
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कोरोना बख्श दो जिंदगी,
अभी तो अरमान बाकी है।
दे दो हमे साँसे उधारी,
अभी कुछ सामान बाकी है।
जी भर के जीना है जीवन,
बकाया प्यार भी बाकी है।
उलाहने झेलने शेष हैं,
कुछ तकरार भी बाकी है।
तेरी आगोश में न खो जाएं,
कुछ तो इम्तिहान बाकी हैं।
लालसाएँ खत्म हुई नहीं,
अभी तो हिसाब बाकी है।
जीवन अभी है अधूरा सा,
पुण्य और पाप बाकी हैं।
मनसीरत क्या छुपा सकता,
अभी तो कुछ राज बाकी है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)