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16 Dec 2020 · 1 min read

कोरोना ने रोक दी दुनिया की रफ्तार

कोरोना से भी अधिक, घातक थी वह भूख।
जिसके कारण राह में, प्राण रहे थे सूख।।

सभी घरों में बंद थे, थी दुनिया बेहाल।
कोई भूलेगा नहीं, मौतों का यह साल।।

याद करेगा देश यह, सरकारों की भूल।
मदिरालय को छूट थी, बंद रहे स्कूल।।

रोज़ी-रोटी ना बची, बचे नहीं व्यापार।
कोरोना ने रोक दी, दुनिया की रफ्तार।।

कोरोना से मुक्त है, गज भर नहीं जमीन।
जाने कैसी त्रासदी, लेकर आया चीन।।

रात अमावस की तरह, फैल रहा यह रोग।
मौत खड़ी है सामने, सजग नहीं हैं लोग।।

-आकाश महेशपुरी
कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
मो. 9919080399

(“कोरोना” काव्य प्रतियोगिता)

27 Likes · 44 Comments · 931 Views
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