कोरोना -दोहे
अगर कॅरोना हो गया,क्या होगा परिवार ।
हृदय निवेदन है प्रखर,कर लो आप विचार ।।
क्यों आख़िर ताबूत में, ठोंक रहे हो कील।
कोरोना ने कब प्रखर ,दिया तुम्हें ये ढील ।।
थोड़ी अक्ल लगाइये ,सह लो कष्ट हज़ार ।
मत घूमों बाज़ार में,चुप बैठो घर द्वार ।।
माना कुछ नुकसान है, टूट रहा व्यापार ।
धन संचय की नीति में, बुद्ध राह उपचार ।।
खांसी हो या छींक हो ,सम्मुख प्रखर रुमाल ।
स्वस्थ रहें सानन्द भी, जीवन हो खुशहाल ।।
बहुत जरूरी काम हो, तब छोड़ों घर द्वार ।
अगर मदद की बात हो, रहो प्रखर तैयार।।
करे निवेदन फिर प्रखर ,कहता हृदय पुकार ।
कैरोना विपदा बड़ी, मिला नहीं उपचार ।।
-सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
फतेहपुर