“कोरोना ठहराव: जनमानस का योगदान”
कल एकत्रित होना है,तो आज दूरियों को अपनाना है।
कुछ समय सामाजिक दूरी बनाना है, अपनों के साथ समय बिताना है।
आज के त्याग को सफल बनाना है, कल फिर नवीन विजयगाथा को दोहराना है।
बिना कारण घर से बाहर नही जाना है, कोरोना विषाणु को ठेंगा दिखाना है।
ईश्वर पर पूर्ण विश्वास जताना है, पर स्वविवेक से भी सही निर्णय को अपनाना है।
आशा का नित नवीन दीपक जलाना है, सरकार के साथ पूर्ण सहयोग का रवैया अपनाना है।
हाथों को मुँह पर नहीं लगाना है, पर हाथो को बार-बार स्वच्छ बनाना है।
बाहर कोरोना दानव का सब जगह घेरा है, इसलिए तो हमने डाला अपने घरो में डेरा है।
अपने पैरो को घरों में थामना है, कोरोना महामारी के प्रसार को विराम देना है।
प्रकृति के कालचक्र की नियति को समझना है, निराशा में आशा रूपी बीज को स्फुठित करना है।
लॉकडाउन के समय का सदुपयोग करना है, समाज सेवा की दिशा में उत्तरोत्तर प्रयासों को बढ़ाना है।
विकट परिस्थितियों में धैर्य को अपनाना है, कोरोना महामारी को जड़ से मिटाना है।