कोरोना घनाक्षरी
कोरोना घनाक्षरी
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देखते ही देखते ये,बना विकराल काल,
कोरोना के सामने सभी ठगे के ठगे हैं ।
ऊँच नीच जाति पांति, छोटे बड़े का न भेद,
सबके ऊपर भय,वाले गोले दंगे हैं ।
बोले हम सरकार, ये तो फिर फैल गया,
सो रहे हैं अभीतक, या कि आप जगे हैं ।
वे बोले जगे हैं हम, पूरी तैयारी के साथ,
अभी क्या है यार जरा चुनाव में लगे हैं ।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश