कोरोना के सामने,सब बेबस लाचार
पाया कैसा चीन से, दुनिया ने उपहार।
कोरोना के सामने, सब बेबस लाचार।।
सब बेबस लाचार, प्राण तिल तिल हर त्यागे।
करके भक्षण मांस, …….नहीं वे बचे अभागे।।
कह रमेश कविराय ,…… रोग यह कैसा आया ।
जिसका त्वरित निदान, किसी ने खोज न पाया।।
रमेश शर्मा.