कोरोना के बाद का परिदृश्य
जैसा कि हम सबको विदित है आज समूचा विश्व एक अदृश्य वायरस के द्वारा छला जा रहा है चाहे भारत हो या विश्व की नम्बर एक शक्ति अमेरिका । चाहे इटली हो या फ्रांस । मानवता मृत्यु भय से कराह रही है , लेकिन यह महामारी अपनी पूरी शक्ति के साथ दिन दोगुनी रात चौगुनी गति से लोगों को काल के ग्रास में भेज अपनी विजय का जयघोष कर रही है ।
एक ओर चीन अपनी खलनायकी का परचम लहरा है तो दूसरी ओर अमेरिका का तिलमिलाना भी लाजमी है । हमारा देश भी संघर्ष कर रहा है आखिरकार चीनी लोगो की जीवन शैली का खामियाजा तो भुगतना होगा । चीनियों के लिए कुत्ते बिल्ली साँप प्रकृति का सृजन न होकर खाद्य पदार्थ है ।
लेकिन मोदी जेसे कुशल नेता के नेतृत्व में महामारी से मरने वालों के ग्राफ में काफी घटोत्तरी रही । प्रधानमंत्री जी के जनता कर्फ्यू का सभी ने श्रद्धा से पालन करते हुए लाकडाउन को भी फोलो किया ।प्रधानमंत्री जी के मूलमंत्र मास्क सोशल डिस्टेन्सिंग से ही इस महामारी पर विजय प्राप्त हुई ।
इस महामारी के विनाशक रूप ने हम सबको यह सोचने को मजबूर कर दिया है कि आतंकवाद और युद्ध से भी बड़ा खतरा एक वायरस से है जो वैश्विक सतर पर सोशल एवं आर्थिक प्रत्येक प्रकार की प्रगति में अवरोध है ।
कोरोना से प्रकृति की अनंत शक्ति का परिचय मिलता है कोरोना के अंत के बाद का विश्व कैसा होगा सोच-विचार, आचार-व्यवहार और आहार आदि की आदतों में किस प्रकार भिन्न होगा ।
भारती य संस्कृति वैदिक संस्कृति है जिसके धर्म दर्शन और व्यवहार में अनुकूलन की शक्ति है अनुकूलन का ही परिणाम है कि हमारे रहाँ कोरोना से मरने वालों का ग्राफ अन्य देशों की तुलना में बहुत पीछे है ।
आज की परिस्थितियां तो यही सीख दे रही है कि हमें पीछे लौटकर आधुनिक सुख सुविधाओं का त्याग करना होगा क्योकि ईश्वर की भक्ति, सात्विक भोजन, व्यायाम और अच्छे विचार से ही हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सकती है ।
कोरोना के बाद का परिदृश्य
कोरोना के बाद वैश्विक स्तर पर निम्नलिखित परिवर्तन दिखाई देगें —
1- जीवन शैली में बदलाव
2–आर्थिक विपन्नता
3- बेरोजगारी
4– शिक्षण संस्थाओं पर ताले
5- श्रम शक्ति का शोषण
6–अस्तपतालों की लूटामार