कोरोना के दौर में
किसी ने जमीन बेच दी कोरोना के दौर में
किसी ने जमीर बेच दी कोरोना के दौर में
कोई जूझ रहा था ऑक्सीजन के लिये
तो किसी ने ऑक्सीजन बेच दी कोरोना के दौर में
कोई बाट रहा था गरीबो को खाना
मुनाफाखोरों ने ईमानदारी बेच दी कोरोना के दौर में
कोई रोता रहा सिसक सिसक के अपनो के लिए
तो किसी ने शमशान की लकड़िया बेच दी कोरोना के दौर में
वो खींचते रहे लाशो के फोटो करते रहे गिनती लाशो की
देश को किया बदनाम खाके रिस्वत विदेशो की
देश द्रोहियो ने आत्मा बेच दी कोरोना के दौर में
कोई जागता रहा आपके ओर हमारे लिए दिनरात
कुछ राजनेताओ ने इंसानियत बेच दी कोरोना के दौर मे
गिद्ध सोच रहे थे खाऊ की नही खाऊ
इंसान इन्सान को खा गए कोरोना के दौर में
नीलेश गुप्ता