कोरोना की वृद्धि में , रहे चंद जयचंद ।
कोरोना की वृद्धि में , रहे चंद जयचंद ।
राष्ट्र द्रोह में रत सदा , नीच मूढ़ मतिमंद ।।
नीच मूढ़ मतिमंद , नहीं कुछ चिंता इनको।
अपनों से निज घात , मिले सदबुद्धि इनको ।
आत्मघात की तरफ , हाय अब केवल रोना ।
बन्धु अभी भी समय , रोक लो खल कोरोना।।
सतीश पाण्डेय