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23 Mar 2020 · 1 min read

कोरोना की आत्मकथा

कोरोना की आत्मकथा

हां, मैं कोरोना हूँ
मुकुटधारी
कांटो भरा
एक वायरस हूँ

वुहान चीन में
पैदा हुआ
चमदागड मेरा
जनक
इंसान मेरा
टारगेट है

बड़ा घमंडी
खूंखार, निर्दयी हूँ
आप बुलाएंगे
तो ही मिलने आऊँगा

छूने से फैलता हूँ
सांसो से
फेफड़े में जाता हूँ
श्वसन तंत्र को
खराब करता हूँ

कई देशों की
यात्रा कर चुका हूँ
कई देशों में
बसता हूँ
मेरे प्रकोप से
सारा संसार डरा है

एक राज बताता हूँ
मैं भी अंदर डरा हूँ
मेरा अस्तित्व
खत्म न हो जाये
बस यही सोचता हूँ

लोग जागरूक
सतर्क हो रहे है
अलग अलग
माध्यम से रोगप्रतिरोधक
क्षमता बढ़ा रहे है
योग, ध्यान,
ताली बजा रहे हैं
खुद को कमरे में
बंद कर रहे है
मेरे अस्तित्व को
वो मिटाने में तुले है

मै भी डरा हूँ
मेरा अस्तित्व
खत्म होने पर राह पर है
मानव अब जीतने
वाला है
उसका विश्वास जीतने
वाला है….

प्रोफ. डॉ. दिनेश गुप्ता- आनंदश्री
8007179747

Language: Hindi
614 Views
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