कोरोना का साया
ये कैसी मजबूरी है
कोरोना का डर
किसी से मिलने
मिलाने नही देता ।
कब तक चलेगा ये सिलसिला
वीरान शहर की गलियों मे
रोजमर्रा का कोलाहल अब
सुनायी नही देता ।
कोरोना के साये मे
जी रही है जिन्दगी
कैसा दुश्मन है दुनिया का जो
दिखाई नही देता ।
हर रोज गुजरते
शवों का काफिला
उम्मीदों का उजाला
होने नही देता ।।
राज विग 08.04.2020.