Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Feb 2022 · 3 min read

कोरोना का भीषण वार और लोगों का मजबूत ढाल

आज वर्तमान समय में कोरोना के आगमन का कुल मिलाकर दो साल बीत चुका है, परिस्थितियां काफी कठिन रही थी। कोरोना के इस भीषण रफ्तार को नजरअंदाज न करते हुए लोगों ने भी प्रयास किए कि इसे किसी भी तरीके से रोका जाए। किंतु अपवाद तो हर जगह पर होते हैं और प्रत्येक परिस्थिति में पनपने का प्रयत्न अवश्य करते हैं, इस कोरोना काल में भी कुछ ऐसा ही हुआ। कुछ लोगों ने इसे रोकने का प्रयास किया तो कुछ ने इसे बढ़ावा भी दिया। अगर कोरोना काल में किसी चीज को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, तो वह है भारतीय आर्थिक व्यवस्था जिसे न जाने सरकार ने कितने बार तोड़–मरोड़ कर पैकेज के रूप में लोगों के आगे प्रस्तुत किया। परिस्थितियां कुछ इस प्रकार बनी रही कि न तो करोना जीता और न ही लोगों को जीत मिली। दोनों एक दूसरे को रोकने में सक्षम साबित हुए। परंतु करोना ने हमें कुछ ज्यादा ही नुकसान दे दिया। सारा आवागमन ठप पड़ गया, शिक्षा और अर्थव्यवस्था की तो जैसे नींव ही हील गई। सब को अपने ऊपर दंभ था कि वो आधुनिक हो चुके हैं, किंतु इस कोरोना ने तो आधुनिकता का सारा दंभ ही चकनाचूर कर दिया। राजनेताओं की तो “बिजली गुल मीटर चालु” जैसी हालात उत्पन्न हो गई। सभी नेताओं ने जैसे शतरंज की बिसात ही बिछा ली, जिसमें खेलने वाले तो वो थे ही साथ ही साथ प्यादे भी वही थे।मुझे याद है, कोरोना के शुरुआती दौर में अमेरिका के राष्ट्रपति श्रीमान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि यह करोना तो हमारे लिए कुछ भी नहीं है, हमारे देश के वैज्ञानिक इनसे ऐसे ही निपट लेंगे। किंतु उन्हें क्या पता था कि अगर इन विषम परिस्थितियों में किसी की सबसे ज्यादा हालत बिगड़ेगी तो वह अमेरिका ही होगा। बात सिर्फ अमेरिका या भारत की नहीं है, आज पूरे विश्व में कोरोना ने अपना एकाधिकार कायम कर लिया है। कहीं न कहीं इन सब के जिम्मेदार भी हम ही हैं, हमारी लापरवाही ने ही करोना को शासन करने में मदद की है। अब लोग भी हार मान चुके हैं और वैमनस्य रूप से सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करने में कोशिश कर रहे हैं। वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए वैक्सीन भी लगवा रहे हैं। किंतु मैंने पहले ही कहा था कि अपवाद प्रत्येक परिस्थिति में पनपते हैं। हाल ही की बात है कोरोना कि तीसरी लहर के कारण मैं स्कूल से अपने घर वापस लौट आया था। सवेरे जब मैं घर से बाहर निकला तो मुझे रास्ते में एक जनाब मिल गए, मैंने उनसे आदरपूर्वक पूछा “आपने वैक्सीन तो लगा ही लिया होगा” तो उन्होंने जो जवाब दिया वह सुनकर आप भी आश्चर्यचकित हो जाएंगे, उन्होंने कहा “बेटा यह देसी खून है, हमने शुद्ध देसी घी खाए हैं, यह करोना हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता”। कुछ दिनों बाद मुझे पता चला कि जनाब कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। तब मैंने उनसे पूछा “कहां गया आपका देसी घी”। इस तरह की कई घटनाएं हमारे और आपके आसपास घटती रहती है। मैं दरअसल यह कहना चाहता हूं कि करोना कोई तर्क वितर्क का मुद्दा नहीं है, जिस पर हम अपने तर्क प्रकट करें। दरअसल हमें इससे बचने की जरूरत है, क्योंकि कहा जाता है कि “जान है तो जहान है”। मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि आप सभी परहेज करें, दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करें, मास्क पहने। खुद भी सुरक्षित रहें और दूसरों को भी सुरक्षित रखें। इस बात पर विचार करने की जरूरत है आप भी विचार कीजिए और सोचिए शायद आपका मत बदल जाए।

Language: Hindi
Tag: लेख
199 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
संस्कृति
संस्कृति
Abhijeet
पिता का बेटी को पत्र
पिता का बेटी को पत्र
प्रीतम श्रावस्तवी
देख लेना चुप न बैठेगा, हार कर भी जीत जाएगा शहर…
देख लेना चुप न बैठेगा, हार कर भी जीत जाएगा शहर…
Anand Kumar
हर पल
हर पल
Neelam Sharma
*खूब थी जिंदा कि ज्यों, पुस्तक पुरानी कोई वह (मुक्तक)*
*खूब थी जिंदा कि ज्यों, पुस्तक पुरानी कोई वह (मुक्तक)*
Ravi Prakash
भावुक हुए बहुत दिन हो गए
भावुक हुए बहुत दिन हो गए
Suryakant Dwivedi
माँ का प्यार है अनमोल
माँ का प्यार है अनमोल
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
जीत रही है जंग शांति की हार हो रही।
जीत रही है जंग शांति की हार हो रही।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"जी लो जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
3065.*पूर्णिका*
3065.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दिमाग नहीं बस तकल्लुफ चाहिए
दिमाग नहीं बस तकल्लुफ चाहिए
Pankaj Sen
बाबूजी।
बाबूजी।
Anil Mishra Prahari
तोड़ कर खुद को
तोड़ कर खुद को
Dr fauzia Naseem shad
"चुनाव के नाम पे
*Author प्रणय प्रभात*
एक पल सुकुन की गहराई
एक पल सुकुन की गहराई
Pratibha Pandey
रोटी रूदन
रोटी रूदन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
बेटियां ?
बेटियां ?
Dr.Pratibha Prakash
Dr arun kumar शास्त्री
Dr arun kumar शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मातु काल रात्रि
मातु काल रात्रि
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
खुदकुशी नाहीं, इंकलाब करअ
खुदकुशी नाहीं, इंकलाब करअ
Shekhar Chandra Mitra
सज्जन पुरुष दूसरों से सीखकर
सज्जन पुरुष दूसरों से सीखकर
Bhupendra Rawat
💐प्रेम कौतुक-385💐
💐प्रेम कौतुक-385💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
धारा छंद 29 मात्रा , मापनी मुक्त मात्रिक छंद , 15 - 14 , यति गाल , पदांत गा
धारा छंद 29 मात्रा , मापनी मुक्त मात्रिक छंद , 15 - 14 , यति गाल , पदांत गा
Subhash Singhai
झूठे सपने
झूठे सपने
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
सियासत कमतर नहीं शतरंज के खेल से ,
सियासत कमतर नहीं शतरंज के खेल से ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
पथ पर आगे
पथ पर आगे
surenderpal vaidya
डिग्रीया तो बस तालीम के खर्चे की रसीदें है,
डिग्रीया तो बस तालीम के खर्चे की रसीदें है,
Vishal babu (vishu)
अगर महोब्बत बेपनाह हो किसी से
अगर महोब्बत बेपनाह हो किसी से
शेखर सिंह
श्राद्ध पक्ष के दोहे
श्राद्ध पक्ष के दोहे
sushil sarna
यार ब - नाम - अय्यार
यार ब - नाम - अय्यार
Ramswaroop Dinkar
Loading...