कोरोना का प्रतिकार
कोरोना का प्रतिकार
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कोरोना का कहर मिटाने , सब मिल प्रण दुहराना जी।
दूर रहो इक दूजे से पर, मिलकर इसे हराना जी।।
मिला दिवस माँ अम्बे का नव, नव संवत्सर आया है।
महामारी के प्रतिकार का, अस्त्र शस्त्र भी लाया है।।
रण चण्डी का ध्यान करो अब, सब मिलकर गोहराना जी।
दूर रहो इक दूजे से पर, मिलकर इसे हराना जी।।
धर्म सनातन पर जो रहते, बोलो क्या पड़ता रोना?
हाथ मिलाना जान न पाते, हमे न छूता कोरोना।।
नमस्कार को अंगिकार कर, धर्म ध्वजा फहराना जी।
दूर रहो इक दूजे से पर, मिलकर इसे हराना जी।।
आज विश्व पर विपदा भारी, काल बना अतिकाय खड़ा।
कोरोना संमुख भारत माँ, दिखती है असहाय बड़ा।।
अपने घर में रहो अकेले, वीर बनों घहराना जी।
दूर रहो इक दूजे से पर, मिलकर इसे हराना जी।।
प्रेम मगन हो गले न मिलना, करना नहीं ढिठाई जी।
कोरोना का मंत्र यही है, मिश्रित गरल मिठाई जी।।
बीस मिनट में हस्त प्रछालन, बार – बार दुहराना जी।
दूर रहो इक दूजे से पर, मिलकर इसे हराना जी।
खाँस रहे ज्वर है सर भारी, स्वास्थ्य केन्द्र जल्दी जाना।
करो सुरक्षा खुद भी सबका, स्वास्थ्य लाभ क्षण में पाना।।
गलती कर दोषी औरों को, कभी नहीं ठहराना जी।
दूर रहो इक दूजे से पर, मिलकर इसे हराना जी।।
#स्वरचित, स्वप्रमाणित
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण बिहार