कोरोना का प्रकोप
#गीता_छंद
आज विपदा आ पड़ी है, मृत्यु का फैला जाल।
त्रस्त सारे लोग अब हैं, काल ने पलटी चाल।
बंध जाए साँस सारी,होय जीवन दुश्वार।
दी प्रकृति ने आज शिक्षा, बच न पाये संसार।।१।।
है करे कोई भरे सब,था पड़ोसी का वार।
वो अमानुष बन गया था, अरु करीं हद सब पार।
साँप,चमगादड़, छछूंदर, ये इन्हीं के आहार।
ईश भी नाराज़ आज तो, ये नहीं था स्वीकार।।२।।
देख कोरोना बढ़ा है,जो बिगाड़े हालात।
पार ये अवरोध कर के,फैलता ये दिन रात।
जल्द कोरोना मिटेगा ,हो कभी ये लाचार।
ध्यान रखना बात का यह, अब नहीं हो विस्तार।।३।।
आपसी दूरी रखें अब, लीजिये मुख रूमाल।
इक कदम घर से न बाहर,तब थमेगा भूचाल।
धैर्य संयम नित्य रखिये, थामना हो आसान।
कुछ दिनों की बात है बस, फिर खिलेगी मुस्कान।।४।।
स्वरचित
सुवर्णा परतानी
हैदराबाद ✍️