कोरोना काल
यह साल है गुजरी जिस हाल में है
वो बेहाल सदा ही याद रहे।
क्या करनी थी वह अपने कर्म कि
या मुख पे विदेशी रुमाल रहें।
जन खुद, खुद के घर कैदी बना,
बंद मंदिर मस्जिद द्वारे रहें।
क्या करनी थी वह अपने कर्म कि
या मुख पे विदेशी रुमाल रहें।
© महेश कुमार